राजस्थान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है

राजस्थान दिवस (Rajasthan Day) इसे राजस्थान का स्थापना दिवस भी कहा जाता है। हर वर्ष के तीसरे महिने (मार्च) में 30 तारीख को राजस्थान दिवस मनाया जाता है। 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था। 

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है।इस राज्य की एक अंतरराष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है। इसके अतिरिक्त यह देश के अन्य पाँच राज्यों से भी जुड़ा है।इसके दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं।
जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, विश्व प्रसिद्ध रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा (1985) पाने वाला एकमात्र अभ्यारण्य।।

राजस्थान का सबसे नया संभाग भरतपुर है। राजस्थान की राजधानी जयपुर को भारत का पेरिस कहा जाता हैं।

राजस्थान का सबसे छोटा जिला क्षेत्रफल कि दृष्टि से धोलपुर है, और सबसे बड़ा जिला जैसलमेर हैं।

30 मार्च 
इस दिन राजस्थान के लोगों की वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति तथा बलिदान को नमन किया जाता है। यहां की लोक कलाएं, समृद्ध संस्कृति, महल, व्यंजन आदि एक विशिष्ट पहचान रखते हैं। इस दिन कई उत्सव और आयोजन होते हैं जिनमें राजस्थान की अनूठी संस्कृति का दर्शन होता है

इसे पहले राजपूताना के नाम से जाना जाता था तथा कुल 22 रियासतों को मिलाकर यह राज्य बना तथा इसका नाम "राजस्थान" किया गया जिसका शाब्दिक अर्थ है "राजाओं का स्थान" क्योंकि स्वतंत्रता से पूर्व यहां कई राजा-महाराजाओं ने राज किया। राजस्थान का एकीकरण 8 चरणों में हुआ। इसकी शुरुआत 18 अप्रैल 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली रियासतों के विलय से हुई। विभिन्न चरणों में रियासतें जुड़ती गईं तथा अंत में 30 मार्च 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों के विलय से "वृहत्तर राजस्थान संघ" बना और इसे ही राजस्थान स्थापना दिवस कहा जाता है।इसमें सरदार वल्लभभाई पटेल की सक्रिय भूमिका रही।

जयपुर 

हवामहल,जयपुर.
  1. जयपुर  इसके भव्य किलों, महलों और सुंदर झीलों के लिए प्रसिद्ध है, जो विश्वभर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  2. चन्द्रमहल (सिटी पैलेस) महाराजा जयसिंह (द्वितीय) द्वारा बनवाया गया था और मुगल औऱ राजस्थानी स्थापत्य का एक संयोजन है।
  3. महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने हवामहल 1799 ई. में बनवाया जिसके वास्तुकार लालचन्द उस्ता थे।
  4. आमेर दुर्ग में महलों, विशाल कक्षों, स्तंभदार दर्शक-दीर्घाओं, बगीचों और मंदिरों सहित कई भवन-समूह हैं।आमेर महल मुगल औऱ हिन्दू स्थापत्य शैलियों के मिश्रण का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  5. एल्बर्ट हॉल नामक म्यूजियम 1876 में, प्रिंस ऑफ वेल्स के जयपुर आगमन पर सवाई रामसिंह द्वारा बनवाया गया था और 1886 में जनता के लिए खोला गया।
  6. गवर्नमेण्ट सेन्ट्रल म्यूजियम में हाथीदांत कृतियों, वस्त्रों, आभूषणों, नक्काशीदार काष्ठ कृतियों, लघुचित्रों, संगमरमर प्रतिमाओं, शस्त्रों औऱ हथियारों का समृद्ध संग्रह है।
  7. सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने अपनी सिसोदिया रानी के निवास के लिए 'सिसोदिया रानी का बाग' भी बनवाया।
  8. जलमहल, शाही बत्तख-शिकार के लिए बनाया गया मानसागर झील के बीच स्थित एक महल है।
  9. 'कनक वृंदावन' अपने प्राचीन गोविन्देव विग्रह के लिए प्रसिद्ध जयपुर में एक लोकप्रिय मंदिर-समूह है।
जयपुर के बाजार जीवंत हैं और दुकानें रंग बिरंगे सामानों से भरी है, जिसमें हथकरघा-उत्पाद, बहुमूल्य रत्नाभूषण, वस्त्र, मीनाकारी-सामान, राजस्थानी चित्र आदि शामिल हैं।
जयपुर संगमरमर की प्रतिमाओं, ब्लू पॉटरी औऱ राजस्थानी जूतियों के लिए भी प्रसिद्ध है।
जयपुर के प्रमुख बाजार, जहां से आप कुछ उपयोगी सामान खरीद सकते हैं, जौहरी बाजार, बापू बाजार, नेहरू बाजार, चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार और एम.आई. रोड़ हैं।
राजस्थान राज्य परिवहन निगम (RSRTC) की उत्तर भारत के सभी प्रसुख गंतव्यों के लिए बस सेवाएं हैं।
जयपुर के निकट विराट नगर (पुराना नाम बैराठ) जहाँ पांडवों ने अज्ञातवास किया था, में पंचखंड पर्वत पर वज्रांग मंदिर नामक एक अनोखा देवालय है जहाँ हनुमान जी की बिना बन्दर की मुखाकृति और बिना पूंछ वाली मूर्ति स्थापित है जिसकी स्थापना अमर स्वतंत्रता सेनानी, यशस्वी लेखक महात्मा रामचन्द्र वीर ने की थी।


भरतपुर
‘पूर्वी राजस्थान का द्वार’ भरतपुर, भारत के पर्यटन मानचित्र में अपना महत्व रखता है।
भारत के वर्तमान मानचित्र में एक प्रमुख पर्यटक गंतव्य,भरतपुर पांचवी सदी ईसा पूर्व से कई अवस्थाओं से गुजर चुका है।
18 वीं सदी का घना पक्षी अभयारण्य , जो केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी जाना जाता है।
लोहागढ़ आयरन फोर्ट के रूप में भी जाना जाता है, लोहागढ़ भरतपुर के प्रमुख ऐतिहासिक आकर्षणों में से एक है। जिसको कोई नहीं जीत पाया
भरतपुर संग्रहालय राजस्थान के विगत शाही वैभव के साथ शौर्यपूर्ण अतीत के साक्षात्कार का एक प्रमुख स्रोत है।
एक सुंदर बगीचा, नेहरू पार्क, जो भरतपुर संग्रहालय के पास है।
डीग जलमहल एक आकर्षक राजमहल है, जो भरतपुर के जाट शासकों ने बनवाया था।

जोधपुर
राठौड़ों के रूप में प्रसिद्ध एक वंश के प्रमुख, राव जोधा ने जिस जोधपुर की सन 1459 में स्थापना की थी, राजस्थान के पश्चिमी भाग में केन्द्र में स्थित राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और दर्शनीय महलों, दुर्गों औऱ मंदिरों के कारण एक लोकप्रिय पर्यटक गंतव्य है।
शहर की अर्थव्यस्था में हथकरघा, वस्त्र उद्योग और धातु आधारित उद्योगों का योगदान है।
मेहरानगढ़ दुर्ग, 125 मीटर ऊंचा औऱ 5 किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ, भारत के बड़े दुर्गों में से एक है जिसमें कई सुसज्जित महल जैसे मोती महल, फूल महल, शीश महल स्थित हैं। अन्दर संग्रहालय में भी लघुचित्रों, संगीत वाद्य यंत्रों, पोशाकों, शस्त्रागार आदि का एक समृद्ध संग्रह है।
जोधपुर रियासत, मारवाड़ क्षेत्र में १२५० से १९४९ तक चली रियासत थी। इसकी राजधानी वर्ष १९५० से जोधपुर नगर में रही।

सवाई माधोपुर 
सवाई माधोपुर शहर की स्थापना जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम ने 1765 ईस्वी में की थी और इन्हीं के नाम पर 15 मई, 1949 ई. को सवाई माधोपुर जिला बनाया गया। मीणा बाहुल्य इस जिले का ऐतिहासिकता के तौर पर काफी महत्व है।
राजस्थान राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान इसी जिले में स्थित है, जिसे रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है। इस उद्यान के कारण सवाई माधोपुर को 'टाइगर सिटी' के नाम से भी राजस्थान में पहचान मिली हुई है।
सवाई माधोपुर जिले में चौहान वंश का ऐतिहासिक रणथंभोर दुर्ग विश्व धरोहर में शामिल है, अपनी प्राकृतिक बनावट व सुरक्षात्मक दृष्टि से अभेद्य यह दुर्ग विश्व में अनूठा है। इस दुर्ग का सबसे प्रसिद्ध शासक महाराजा हम्मीर देव चौहान राजस्थान के इतिहास में अपने हठ के कारण काफी प्रसिद्ध रहा है।
सवाईमाधोपुर रेलवे स्टेशन पर बाघों की चित्रकारी की विश्व में एक अलग पहचान है, इसलिए इसे वन्यजीव फ्रेंडली स्टेशन कहा जा सकता है।


Comments

idoneaaarhus said…
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